सब्जी उत्पादन की उन्नतशील तकनीकी विषय पर तकनीकी सहायकों के प्रशिक्षण का शुभारम्भ.

Sun, 01 October 2017

भा.कृ.अनु.प.- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी एवं राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, गुडगाँव (गुरूग्राम) के संयुक्त तत्वाधान में "सब्जी उत्पादन की उन्नतशील तकनीकी" विषय पर कृषि विज्ञान के पिपराकोठी, मोतीहारी, पूर्वी चम्पारण में कृषक प्रशिक्षण का शुभारम्भ मुख्य अतिथि केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने किया। इस अवसर पर उपस्थित तकनीकी सहायकों एवं कृषकों को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री, भारत सरकार श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण बीज सब्जियों के उत्पादन में सबसे अधिक योगदान देता है। सब्जियों के अधिक उत्पादन के साथ-साथ, इसका प्रसंस्करण होना अति आवश्यक है। इसके लिए माननीय श्री राधा मोहन सिंह ने करेले और लौकी के प्रसंस्करण के प्रशिक्षण हेतु कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी भ्रमण करने के लिए कहा। इस अवसर पर श्री राधामोहन सिंह ने बताया कि पूर्वी चम्पारण में 9000 कृषकों का कृषक-उत्पादक संगठन बनाया गया है जिसके तहत किसानों को विभिन्न कृषि तकनीकियों का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
इस कृषक उत्पादक संगठन के तकनीकी सहायकों के प्रशिक्षण का आयोजन भा.कृ.अनु.प.- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा किया गया। इस अवसर पर भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. बी. सिंह ने बताया कि कृषि विविधिकरण अपनाकर एवं फसल चक्र में सब्जी को समाहित कर आय को दुगुनी कर सकते हैं। पोषण सुरक्षा हेतु सब्जी उत्पादन पर जोर देते हुए डा. बिजेन्द्र सिंह ने कहा कि सब्जियों की खेती अन्तवर्ती फसल के रूप में भी की जा सकती हैं जिससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी। डा. सिंह ने मृदा स्वस्थ कार्ड बनाने हेतु किसानों को प्रेरित किया तथा कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न किसान कल्याण योजनाए, जैसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं परम्परागत कृषि विकास योजना पर प्रकाश डाला। इस प्रशिक्षण को स्थानीय विद्यायक श्री श्याम बाबु यादव, श्री राजेन्द्र प्रसाद एवं डा. के.के. झा ने भी सम्बोधित किया।
इस प्रशिक्षण में कृषक-उत्पादक संगठन के 25 तकनीकी सहायकों एवं कृषकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के प्रमुख वैज्ञानिक डा. डी.आर. भारद्वाज एवं डा. नीरज ने सहयोग किया।