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भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
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कृषि और किसान कल्याण मंत्रालयMINISTRY OF AGRICULTURE AND FARMER'S WELFARE
सब्जियों की उन्नत किस्मों के व्यवसायीकरण हेतु भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा सोलेनैसियस प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन
भा.कृ.अ.प.- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी की क्षेत्रीय तकनीकी प्रबंधन इकाई के द्वारा दिनांक 18 जनवरी, 2020 को संस्थान से विकसित टमाटर, बैंगन एवं मिर्च की प्रजातियों एवं उच्चीकृत जननद्रव्यों के प्रदर्शन एवं व्यवसायीकरण हेतु सोलेनैसियस प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में निजी क्षेत्र की 19 प्रमुख बीज कंपनियों सनग्रो, सकाटा, कावेरी, नाथ बायोजीन्स, मेटा हेलिक्स, एचएम क्लाज, किसान क्रॉप, ईगल, ईस्ट वेस्ट, ताइशिता एग्रोटेक, रूचि हाइरीच, ऋषिराज, नोबल, सफल, बॉम्बे सुपर, सीड वर्क, दिनकर, इंडिगो एवं इंडो अमेरिकन बीज कंपनी के 35 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान की पंचवार्षिक समीक्षा दल के सदस्य डॉ प्रीतम कालिया ने किया। इस अवसर पर दल के अन्य सदस्य डॉ प्रद्युम्न कुमार, डॉ आर रत्नाकर एवं संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ एस के वर्मा भी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र में क्षेत्रीय तकनीकी प्रबंधन इकाई के प्रभारी डॉ प्रभाकर मोहन सिंह ने विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए पब्लिक प्राइवेट सहभागिता के अंतर्गत चलाये जा रहे इन कार्यक्रमों को संस्थान द्वारा विकसित सब्जियों की उन्नत किस्मों के लाभ को किसानों तक पहुचाने में उपयोगी बताया। इस कार्यक्रम में बैंगन, मिर्च एवं टमाटर की विभिन्न उन्नत किस्मों का प्रदर्शन किया गया जिसको निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों द्वारा अपनी कंपनी के आवश्यकतानुसार मूल्यांकित एवं चयनित किया गया। कार्यक्रम के दौरान बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों एवं संस्थान के वैज्ञानिकों के बीच परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने बाजार की मांग के अनुसार कुछ अन्य विशिष्ट गुणों पर शोध करने पर भी बल दिया। संस्थान ने पूर्व में भी इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर संस्थान की उन्नत किस्मों का लाइसेंस निजी क्षेत्र को प्रदान किया है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से इन प्रजातियों को देश भर के सब्जी किसानों तक पहुचाने में मदद मिलती है और साथ ही साथ संस्थान को राजस्व भी प्राप्त होता है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार, डॉ शैलेश कुमार तिवारी, डॉ अच्युत कुमार सिंह एवं डॉ इन्दीवर प्रसाद ने योगदान किया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ शैलेश कुमार तिवारी ने किया।