-
भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
-
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालयMINISTRY OF AGRICULTURE AND FARMER'S WELFARE
भा.कृ.अनु.प.- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में विश्व मधुमक्खी दिवस का आयोजन
भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विश्व मधुमक्खी दिवस का आयोजन 20 मई, 2019 को ग्राम पनियरा में किया गया। इस अवसर पर डॉ के.के. पाण्डेय, कार्यकारी विभागाध्यक्ष, फसल सुरक्षा विभाग एवं मुख्य अनवेषक (समेकित मधुमक्खी पालन केन्द्र) ने उद्बोधन में कहा कि मधुमक्खी पालन ग्रामीण, किसानों एवं युवाओं के लिये रोजगार एवं आय के सृजन का कृषि उद्यम है। किसानों को खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को भी अपनाना चाहिये। यह पहल उत्तर प्रदेश में ‘मधुक्रांति’ को सफल बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक होगी। मधुमक्खी पालन से शहद, मोम, पालेन, रायल जेली, इत्यादि की प्राप्ति के साथ-साथ सब्जी फसलों में पर परागण भी होता है। मधुमक्खी पालन से दलहनों, तिलहनों, सब्जीवर्गीय फसलों के उत्पादन व गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। 80-90 प्रतिशत फसलो में परागण मधुमक्खियों द्वारा ही होता है। शहद की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में गुणवत्ता बनाये रखने हेतु मधुमक्खी पालकों को निर्धारित मापदण्डों को अपनाकर शहद प्रसंस्करण करना चाहिये। संस्थान के समेकित मधुमक्खी पालन केन्द्र द्वारा मधुमक्खी पालन में रोगों एवं कीटों का प्रबंधन, शहद का प्रसंस्करण व भण्डारण, कीटनाशकों एवं प्रतिजैविको का शहद में मिलावट का परीक्षण के लिये चलाये जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी। किसानों को मधुमक्खी पालन से प्राप्त होने वाले उत्पादों जैसे शहद, मोम, प्रोपलिस, रायल जेली एवं परागकण के औषधीय एवं आर्थिक लाभों को बताया। मधुमक्खी पालन हेतु संस्थान में किसानों को प्रशिक्षण एवं शहद प्रसंस्करण की सुविधा लेने हेतु प्रोत्साहित किया। ग्रामीण युवाओं, कृषकों एवं महिलाओं को मधुमक्खी पालन के संकल्प लेने का अनुरोध किया। प्रगतिशील किसानों में - श्री लल्लन दुबे, श्री ओम प्रकाश दुबे एवं अन्य 50 पुरूष व महिला किसान भी उपस्थित थे।
डॉ. आत्मानन्द त्रिपाठी, वैज्ञानिक (पौध रोग विज्ञान) ने वैज्ञानिक ढंग से किसानों को मधुमक्खी पालन की जानकारी दी। डॉ. जयदीप हलदार, वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) ने कीटनाशी प्रबंधन पर चर्चा किया। डॉ. डी. आर. भारद्वाज ने किसानों को अच्छी कृषि पद्धति व कृषि के विविधीकरण, खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन को अपनाने का अनुरोध किया। डॉ. शुभदीप रॉय, वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) ने कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन किया।