भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने संतुलित उर्वरकों के प्रयोग हेतु जागरूकता पर वेबिनार का आयोजन

Fri, 18 June 2021

उर्वरकों का प्रयोग हरित क्रान्ति का आधार रहा जिससे देश खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ। किसानों को उर्वरकों के संतुलित प्रयोग की जानकारी न होने के कारण कहीं अनुशंसित मात्रा से अधिक एवं कहीं कम प्रयोग किया जा रहा है। इस परिपेक्ष्य में संस्थान द्वारा आज दिनांक 18-06.2021 को संतुलित उर्वरकों के प्रयोग हेतु किसानों में जागरूकता लाने के लिये वेबीनार आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डाॅ. टी.के. बेहेरा ने किसानों से आग्रह किया कि किसी भी खेती को प्रारम्भ करने से पहले मिट्टी की जाँच अवश्य करायें एवं ‘मृदा स्वास्थ्य परीक्षण’ के अनुसार ही उर्वरकों का प्रयोग करें। खेती में संतुलित उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले लाभों के प्रति जागरूक किया। उन्होने कहा कि मिट्टी में बृहद पोषक तत्वों के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी प्रयोग करना आवश्यक है जिससे कम लागत में गुणवत्तायुक्त सब्जियों का उत्पादन हो सके। इसी क्रम में फसल उत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जगदीश सिंह, ने कहा कि बूँद-बूँद सिंचाई पद्धति को अपनाने से 20-50 प्रतिशत तक जल की बचत होती है एवं सब्जियों में ‘फर्टिगेशन’ की विधि से उर्वरकों के प्रयोग की बात कही जिससे कम लागत में किसान भाई अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकें। डाॅ. प्रभाकर मोहन सिंह, विभागाध्यक्ष, फसल उन्नयन विभाग ने किसानों को फसलों में संस्तुत एवं नियंत्रित मात्रा एवं नैनो उर्वरकों के प्रयोग करने की बात बतायी। डाॅ. कौशलेन्द्र कुमार पाण्डेय, विभागाध्यक्ष, फसल सुऱक्षा विभाग ने मृदा स्वास्थ्य प्रबध्ंान के उद्देश्यों व तरीकों को बताया जिससे मृदा को अम्लीय व क्षारीय होने से बचाया जा सके। डाॅ. सूर्यनाथ सिंह चैरसिया, प्रधान वैज्ञानिक, फसल उत्पादन विभाग ने विशेष व्याख्यान दिया जिसमें उन्होने उर्वरकों के प्रयोग के वर्तमान परिदृश्य को विस्तार से बताया। इस अवसर पर संस्थान के तीनों कृषि विज्ञान केन्द्रों के समन्वयकों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिक एवं 100 से ज्यादा किसानों ने सहभागिता कर अपने प्रश्नों का समाधान प्राप्त किया।