राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी-वाराणसी अध्याय का शुभारम्भ एवं किसान कल्याण दिवस का आयोजन

Wed, 02 May 2018

राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी- वाराणसी अध्याय के क्षेत्रीय कार्यालय का शुभारम्भ भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में दिनांक 02 मई, 2018 को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष डा. पंजाब सिंह एवं उपाध्यक्ष डा. ए.के. श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी- वाराणसी अध्याय के समन्वयक डा. बिजेन्द्र सिंह, निदेशक, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी है। इस वाराणसी अध्याय का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र के कृषि समस्याओं के सुचारू निदान हेतु ब्रेन स्ट्रोमिंग सत्र का आयोजन, छात्रों के लिए मेंटरिंग कार्यक्रम, वैज्ञानिक एवं किसान परिचर्चा तथा इस अध्याय के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों के वैज्ञानिकों का डेटा बेस तैयार करना है। इस राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी- वाराणसी अध्याय का कार्य क्षेत्र पूर्वी एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बुन्देलखण्ड क्षेत्र है।

इसके अलावा संस्थान में संचालित भारतीय सब्जी विज्ञान समिति के नये कार्यालय का उद्धाटन डा. कीर्ति सिंह एवं डा. गौतम कल्लू,  पूर्व अध्यक्ष, भारतीय सब्जी विज्ञान समिति द्वारा किया गया। इसी अवसर पर संस्थान में संचालित अन्य समिति एसोशिएसन आफ परमोसन्स आफ इन्वोशन इन वेजीटेबल्स के कार्यालय का उद्धाटन डा. रामबदन सिंह,   पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी ने किया। उपयुक्त तीनों कार्यालय एक ही भवन में कार्य करेगे।

इस अवसर पर डा. कीर्ति सिंह, पूर्व अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली, डा. रामबदन सिंह, पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी, डा. गौतम कल्लू, पूर्व कुलपति, जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय, डा. आई.एस. सोलंकी, सहायक उपमहानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् एवं वाराणसी अध्याय के अन्तर्गत आने वाले राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के फेलो उपस्थित रहे।

मा. प्रधान मंत्री जी के आह्वान पर ग्राम स्वराज अभियान के अन्तर्गत ’’सबका साथ, सबका गाव सबका विकास’’ के मद्देनजर इस अवसर पर किसान कल्याण दिवस का भी आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ-साथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों गण एवं लगभग 50 किसानों तथा 5 किसान उत्पादक समूह-वाराणसी, गाजीपुर एवं चन्दौली जनपद से भाग लिया। इस अवसर पर वैज्ञानिकों द्वारा सब्जियों के साथ-साथ समेकित कृषि प्रणाली पर चर्चा किया गया जिससे किसानों की आय 2022 तक दुगनी की जा सके।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष डा. पंजाब सिंह ने कहा कि वैज्ञानिकों को ज्यादा से ज्यादा इंटरप्रयोनोशिप विकसित करने की आवश्यकता है जिससे अधिकाघिक किसानों को जोड़ने की आवश्यकता है। इसके लिए चुनिन्दा विकसित तकनीक को चुनकर उसको ज्यादा से ज्यादा किसानों तक एक व्यवसाय की तरह करने के लिए प्रोत्साहित किया जाये। इस अवसर डा. सिंह ने बताया कि फार्ड फाउन्डेशन ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में 12 फार्मस प्रोड्यूसर्स कम्पनी बनाने में मदद की थी जिसमें से वाराणसी में 5, चन्दौली में 2, गाजीपुर में 2 एवं आजमगढ़ में 3 है। ये कम्पनिया डेयरी फार्मिग, दूध  प्रसंस्करण, सब्जियों की खेती एवं उनके विपणन आदि क्षेत्रों में कार्य कर रही है। डा. सिंह ने कहा कि अगले पाॅच सालों में फार्ड फाउन्डेशन द्वारा लगभग 100 इंटरप्रयोनोशिप विकसित करने का लक्ष्य है। इस कार्य में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी- वाराणसी अध्याय अपना एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।

इसी क्रम में डा. ए.के. श्रीवास्त, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी ने अपने सम्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी- वाराणसी अध्याय का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को पहचाना एवं उसके समाधान हेतु समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों को करते रहना जिससे किसानों की ज्यादा से ज्यादा मदद हो एवं उनकी आमदनी बढ़ाई जा सके। उन्होने पशुओं की बीमारी खुरपका-मुहपका एवं थनैला के लक्षण एवं उपचार के बारे में किसानों को बताया। डा. श्रीवास्तव ने अपने सम्बोधन में बताया कि पशुओं को आक्सीटोसीन का टीका नहीं लगाना चाहिए। यदि टीका लगाने की जरूरत पड़ती है तो इससे दूध की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। डा. श्रीवास्तव ने बताया कि अर्द्धपका दूध, अण्डा, मीट आदि नहीं खाना चाहिए इससे बहुत सारी बीमारी होने का डर रहता है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डा. रामबदन सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि कुपोषण एवं गरीबी भारत की सबसे बड़ी समस्या है और यह समस्या पूर्वी भारत में सबसे ज्यादा है। हमें संकल्प लेना चाहिए कि किसानों की आमदनी आने वाले 2022 तक दुगुनी करनी की आवश्यकता है जो कि आज के समय में अन्य लोगों की अपेक्षा किसानों की आमदनी 1/4 गुना कम है। इस क्षेत्र में नास, वाराणसी अध्याय को विशेष पहल करने की आवश्यकता है जिससे कुपोषण से निजात दिलाई जा सके। इस अवसर पर डा. कीर्ति सिंह, पूर्व अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली ने बताया कि टिकाउ खेती पर जोर देने की ज्यादा से ज्यादा आवश्यकता है जिससे लागत में कमी की जा सके एवं उत्पादकता को बढ़ाते हुए किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी की जा सके। इस अवसर पर डा. कल्लू गौतम, पूर्व कुलपति, जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय ने बताया कि बीज और शुछम जीव आने वाले समय मे खेती के लिये जरूरी होगे, जिससे उत्पादकता को बढाने मे मदद मिलेगी।

संस्थान के निदेशक डा. बिजेन्द्र सिंह ने आये हुए सभी गणमान्य लोगों का स्वागत किया एवं अपने सम्बोधन में कहा कि सब्जी एवं अन्य फसलों के उत्पादन के साथ-साथ प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान देनी की आवश्यकता है। डा. सिंह ने बताया कि किसानों के लिए संस्थान द्वारा मधुमक्खी पालन, सब्जी पौध उत्पादन, वर्मीकम्पोस्ट, सब्जी बीज ग्राम एवं सूक्ष्म जैविकों का व्यवसायिक स्तर पर उत्पादन कर किसान उत्पादक समूह द्वारा किसानों की आय दुगुनी की जा सकती है। संस्थान द्वारा सदैव इन कार्यों के लिए किसानों को प्रशिक्षण के साथ-साथ तकनीकी जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है। इस कार्यक्रम में सहयोग डा. पी.एम. सिंह, डा. जगदीश सिंह डा. आर.एन. प्रसाद, डा. नीरज सिंह, डा. सुधाकर पाण्डेय आदि वैज्ञानिकों ने किया। कार्यक्रम का समापन पर धन्यवाद ज्ञापन डा. जगदीश सिंह द्वारा दिया गया।