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भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
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कृषि और किसान कल्याण मंत्रालयMINISTRY OF AGRICULTURE AND FARMER'S WELFARE
भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में तकनीकी प्रचार दिवस का आयोजन
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में बैंगन, मिर्च, टमाटर, मटर, सेम, राजमा एवं छप्पन कद्दू पर तकनीकी प्रसार दिवस का आयोजन संस्थान एवं जोनल तकनीकी प्रबंधन इकाई द्वारा दिनांक 18 जनवरी, 2022 को किया गया। इस अवसर पर 16 बीज कम्पनियों के प्रतिनिधियों एवं हितग्राहियों को संस्थान द्वारा विकसित सब्जी फसलों की किस्मों से अवगत कराया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. तुषार कान्ति बेहेरा ने बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों से सब्जी फसलों की उन्नत किस्मों के बीज की गुणवत्ता के मानकों व विपणन हेतु सुझावों एवं प्रतिक्रियाओं पर विस्तार से चर्चा किया। ड़ॉ. बेहेरा ने कहा कि संस्थान सब्जी फसलों की उन्नत किस्मों को किसानों एवं हितग्राहियों तक पहुँचाने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा दे रहा है। उन्होने निजी कंपनियों के साथ पी.पी.पी. माध्यम से कार्य करने हेतु अनुबंधों को प्रभावी बनाने एवं अन्य कार्यक्रमों में सहायता देने की बात बतायी।
डा. प्रभाकर मोहन सिंह, विभागाध्यक्ष (फसल उन्नयन) एवं अध्यक्ष, जोनल तकनीकी प्रबंधन इकाई ने बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों से प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान संस्थान द्वारा विकसित मुक्त परागित एवं संकर किस्मों के लक्षणों, मूल्यांकन एवं लाइसेन्सिग हेतु प्रक्रियाओं पर चर्चा किया। इस अवसर पर बीज कंपनियों जैसे- जे. के. एग्री जेनेटिक्स, नामधारी सीड्स, अंकुर सीड्स, सीड वर्क्स इण्टरनेशनल प्र. लि., टियारा सीड्स, ईस्ट वेस्ट सीड्स, वी. एन. आर. सीड्स प्र. लि., नुजीवीडू सीड्स, एफ.टी.एन. एग्रो प्र. लि., महिको प्र.लि ., त्रिमूर्ति सीड्स प्र.लि . एवं फाइकस सीड्स इत्यादि के 50 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रतिभागगियों ने प्रक्षेत्र भ्रमण एवं प्रतिक्रिया सत्र में संस्थान द्वारा विकसित सब्जी फसलों की किस्मों के विभिन्न निर्यातक, वाणिज्यिक, व्यापारिक लक्षणों, रोग व कीटरोधिता पर चर्चा किया एवं अपनी-अपनी कंपनियों से इन किस्मों के अनुज्ञा एवं पंजीकरण हेतु सिफारिश करने का आश्वासन भी दिया। इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. जगदीश सिंह, डॉ. के. के. पाण्डेय एवं संस्थान के अन्य वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शैलेश कुमार तिवारी ने किया।