घर के पिछवाड़े मुर्गी पालन द्वारा किसानो की आर्थिक समृध्दि में विकास

Sat, 28 July 2018

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वराणसी के द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वाधान से फार्मर फर्स्ट परियोजना के अन्तर्गत आराजीलाईन विकास खण्ड के धानापुर, पनियरा एवं बाबूराम का पूरा गावों के चयनित किसानो को संस्थान पर एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया जिसमें किसानो को घर के पिछवाड़े मुर्गी पालन तथा उसके रख-रखाव के बारे मे विस्तृत जानकारी दी गई। संस्थान के निदेशक डा. विजेन्द्र सिहं के निर्देशन में चयनित गावों के 25 लघु एवं सीमांत कृषक एवं महिला कृषको को 50-50 चूजें के साथ-साथ मुर्गी का दाना , खाना एवं पानी के बर्तन तथा महत्वपूर्ण दवाओ का भी दितरण किया गया।
ये सभी चूजे (कैरी –देवेन्द्रा) भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली से लाया गया जो वर्ष में करीब 200 अण्डे देती है तथा यह द्वीकाजी मुर्गी है जिसका उपयोग अण्डा एवं मांस दोनो के लिये किया जाता है। इस मुर्गी की विशेषता यह है कि ग्रामीण क्षेत्रो में लघु एवं सीमांत किसानो के घर पर सीमित खाना – दाना में अच्छी उत्पादन देती है, रोग प्रतिरोधी क्षमता देशी की तरह होती है तथा शिकारी जन्तुओ से बचाव करने में सक्षम है। घर के पिछवाड़े मुर्गी पालन करने के लिये संस्थान के निदेशक ने इन किसानो को प्रोत्साहित किया तथा बताये कि आने वाले समय में यह तकनीक प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना किसानों की आय दोगुनी करने में एक मील का पत्थर साबित होगा। कार्यक्रम में किसानो को सब्जी उत्पादन के आधुनिक तकनीक, मधुमक्खी पालन एवं जैविक खेती के लिये भी प्रोत्साहित किये ।