भाकृअनुप.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में हिंदी कार्यशाला का आयोजन

Wed, 11 December 2019

राजभाषा हिंदी के कार्यालयीन उपयोग बढ़ाने एवं इसके प्रचार प्रसार हेतु भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा चतुर्थ हिंदी कार्यशाला का आयोजन दिनांक 11 दिसम्बर, 2019 को किया गया। इस कार्यशाला का विषय ’’कृषि शोध का हिंदी में प्रकाशन हेतु सरलीकरण’’ था। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक एवं राजभाषा समिति के अध्यक्ष डा. जगदीश सिंह ने की। डा. सिंह ने हिंदी में शोध लेखन को बढ़ावा देने के लिये सब्जी विज्ञान की हिंदी में शब्दावली एवं हिंदी में शोध पत्रों के प्रकाशन की महत्ता को बताया। हिंदी में शोध लेखन एवं भाषा में सारांश के रूप में प्रकाशित करने हेतु ’’ वेजेटेबल साइन्स’’ की सराहना किया । उन्होने कहा कि भविष्य में हिंदी वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक लेखन एवं व्यापार की भाषा होगी। डा. एस.के. वर्मा ने संस्थान में हिंदी राजभाषा के विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला में वक्ता के रूप में डा. डी.आर. भारद्वाज, प्रधान वैज्ञानिक ने कृषि शोध का हिंदी में लेखन पर प्रकाश डाला। डा. भारद्वाज ने कहा कि कृषि शोध का हिंदी में प्रकाशन हेतु लेखकों को पाठक गण, शब्द चयन, व्याकरण और विराम चिन्हों का सही इस्तेमाल निरन्तरता, व्यवस्थापन और क्रम, दुहराना, एक रूपता और रचनात्मकता उद्धरणों का प्रयोग सही रूप से करना चाहिये। उन्होने लेखन को सरल एवं रोचन बनाने हेतु कई अन्य महत्वपूर्ण सुझाव दिये। डा. हरे कृष्ण, प्रधान वैज्ञानिक ने ’’कृषि शोध के हिन्दी प्रकाशन का सरलीकरण’’ शीर्षक पर व्याख्या दिया। उन्होने हिन्दी प्रकाशन हेतु उपलब्ध संसाधनों के उपयोग पर बल दिया। डा. कृष्ण ने हिंदी में वैज्ञानिक लेखन को सरल बनाने के लिये विभिन्न प्रकार के टूल्स जैसे ई-महाशब्दकोश, लीला, गुगल अनुवादक एवं टी.डी.आइ.एल व सी.एस.टी.टी की वेबसाइट के प्रयोग के तरीकों एवं लाभों को बताया। इस कार्यशाला में आठ प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक वर्ग के कर्मचारी सम्मिलित थे।
इस अवसर पर संस्थान के तीनों विभागों के विभागाध्यक्ष, डा. पी.एम. सिंह (फसल उन्नयन), डा. आर. एन. प्रसाद (फसल उत्पादन), डा. के.के. पाण्डेय (फसल सुरक्षा) तथा राजभाषा समिति के सदस्य डा. ए.एन. त्रिपाठी, डा. इन्दीवर प्रसाद उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. बी.आर रेड्डी एवं धन्यावाद ज्ञापन डा. रामेश्वर सिंह ने किया।